15 अगस्त 1942 को ही बलिया में फहराया गया था तिरंगा


अन्याय, अत्याचार, जुल्म के खिलाफ संघर्ष के लिए जाना जाता रहा है बलिया. ब्रिटिश हुकूमत की शक्तियों की बिना परवाह किए 15 अगस्त 1942 को ही यहां जगह जगह तिरंगा फहरा दिया गया था. 15 अगस्त 1942 को ही ब्रिटिश हुकूमत के यूनियन जैक में आग लगाकर जगह जगह तिरगा लहराया गया था.


अन्याय, अत्याचार, जुल्म के खिलाफ संघर्ष के लिए जाना जाता रहा है बलिया. ब्रिटिश हुकूमत की शक्तियों की बिना परवाह किए 15 अगस्त 1942 को ही यहां जगह जगह तिरंगा फहरा दिया गया था. 15 अगस्त 1942 को ही ब्रिटिश हुकूमत के यूनियन जैक में आग लगाकर जगह जगह तिरगा लहराया गया था.


IDAY

बासडीह में छात्रों ने जुलूस निकाला तो बेल्थरा रोड स्टेशन और माल गोदाम फूंक डाला गया. सिकंदरपुर में राम नगीना राय के नेतृत्व में स्कूल से बाहर आकर राष्ट्रीय झंडा लिए मिडिल स्कूल के बच्चे गीत गा रहे थे. 


बच्चों के हुजूम के बीच तत्कालीन थानेदार ने घोड़ा दौड़ा दिया, इस वजह से कई बच्चे घायल हो गए. अंग्रेज सिपाहियों ने राम नगीना राय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. बजरंग आश्रम बहुआरा में क्रांतिकारियों ने आम सभा की.


बलिया शहर में लड़कियों का जुलुस निकला. आंदोलन के कर्मठ नेताओं ने ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ विध्वंसात्मक कार्यक्रम संचालित करने की रणनीति तय की. क्रांति को और रंग देने का कार्य प्रारंभ हो गया. 


बहुआरा में अलग-अलग जुलूस निकाल कर क्रांतिकारी नगरा पहुंचे. पोस्ट ऑफिस के सारे कागजात एवं स्टांप को फूंक दिया गया. चारों तरफ ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम आदमी सड़क पर उतर गए. नगरा डाक बंगला पर तिरंगा झंडा फहराया गया.


सुरेमनपुर रेलवे स्टेशन पर रेल की पटरियों को उखाड़ फेंका गया. टेलीफोन के तारों को काट डाला गया. क्रांतिकारियों ने सिग्नल को तोड़ दिया. स्टेशन को जला डाला गया. एक अन्य दल ने बकुल्हा स्टेशन को भी जला दिया. 


स्टेशन की कुर्सियों में आग लगा दिया गया. ब्रिटिश हुकूमत को तहस-नहस कर के सारे जगहों पर वीर क्रांतिकारियों ने तिरंगा ध्वज फहरा दिया. इस मामले में ठाकुर मिश्र राजा हरि सिंह, वनरोपण राय, शिव पूजन राय, भगवती पांडेय, शिवपूजन सोनार, सुंदर नोनिया आदि पर एफआईआर दर्ज किया गया.


बैरिया में अयोध्या सिंह, रामअवतार, रूपनारायण सिंह, सुदर्शन सिंह आदि के दबाव में थानेदार ने ही बैरिया थाने पर तिरंगा ध्वज फहरा दिया. बलिया शहर में भी कई जगह सरकारी दफ्तरों में आग लगा दी गई. काशी प्रसाद उन्मेष और अमरनाथ ने शहर में अन्य सहयोगियों के साथ सरकारी कार्यालयों में व्यापक तोड़फोड़ की.


रसड़ा में डाकघर में आग लगा दी गई और डाक बंगले पर तिरंगा ध्वज फहराया गया. इसमें स्वामी चंद्रिका दास, बालेश्वर सिंह, हंस नाथसिंह, हरगोविंद सिंह, सत्य नारायण सिंह, मुसाफिर अहीर, रामबचन गोंड, सहदेव चमार, गौरी कलवार, इंद्रदेव प्रसाद को जेल की सजा हुई. बेल्थरा रोड स्टेशन पर आग लगा दी गई.


 राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया, इस प्रकार बलिया 15 अगस्त 1942 को भी अघोषित रूप से स्वतंत्र हो गया था. जनपद के सारे कस्बों में तिरंगा लहरा रहा था.

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